ईद की खुशी में कम होता कोरोना का गम….

पिछले 20 दिनों में आज का ही दिन था, जब सोशल मीडिया पर पोस्ट देखकर मन खराब नहीं हुआ। छोटे-छोटे बच्चे नए कपड़े में जमीन पर उतरे फरिश्ते की तरह दिख रहे थे। नए और सुंदर लिबास में, बड़े भी खुश दिख रहे थे। कुछ लोगों ने लज़ीज़ पकवान की तस्वीर शेयर की थी। उसे देखकर मुंह में पानी आ गया। मगर, मैंने भी हिम्मत की और जो भी मेरे पास था उससे ईद मानने के लिए तैयार हो गया।

पिछले 20 दिनों में आज का ही दिन था, जब सोशल मीडिया पर पोस्ट देखकर मन खराब नहीं हुआ। छोटे-छोटे बच्चे नए कपड़े में जमीन पर उतरे फरिश्ते की तरह दिख रहे थे। नए और सुंदर लिबास में, बड़े भी खुश दिख रहे थे। कुछ लोगों ने लज़ीज़ पकवान की तस्वीर शेयर की थी। उसे देखकर मुंह में पानी आ गया। मगर, मैंने भी हिम्मत की और जो भी मेरे पास था उससे ईद मानने के लिए तैयार हो गया।
कोरोना महामारी की वजह से दोस्तों को दावत नहीं दी। उनके घर जाने से भी गुरेज किया। जब से होश संभाला है तब से पहली बार ऐसा हुआ है कि ईद चार दीवारों के बीच में खामोशी से कटी है। मगर, वक्त की जरूरत है कि जबतक वबा का प्रकोप है, तबतक जितना हो सके इहतियात किया जाए।
पिछले साल भी कोरोना था, मगर डर आज से काफी कम था। पिछले साल कुछ दोस्तों को रूम पर बुलाया था और खूब सारे तरबूज खाए थे। रूह अफजा वाली लस्सी भी बनाई थी। फिर चिकन बिरयानी और बढ़िया सी हरी चटनी तैयार की थी। पिछले साल एक या दो दिन में रूम से बाहर जरूर निकता था, मगर इस बार घर से कदम रखे एक हफ्ता गुजर जा रहा है।
ईद मानने के लिए रूम में न चिकन था, न मटन। सेवई और दूध भी नहीं था। बाहर जाने का दिल नहीं था। किचेन को गौर से देखा तो सीताफल का एक टुकड़ा पड़ा था। पिछले हफ्ते ही दो किलो से बड़ा एक सीताफल लाया था। बाकी सब्जी पिछले एक हफ्ते में खत्म हो गई है। आज किचन में बचा तो सिर्फ सीताफल और थोड़ा प्याज था।
प्याज की मदद से चावल का पुलाव बनाया और सीताफल की सब्जी। इमली थी। लहसुन और मिर्च को आग में पकाया और फिर मिक्सी में इमली का पानी, मिर्च, लहसुन, अदरक और नमक को पीस कर चटनी बना ली। पापड़ पड़ा हुआ था। उसे तवा पर सेक लिया।
खाते वक्त यही तसव्वुर कर रहा था कि सामने रखा पुलाव पुलाव नहीं बल्कि देशी घी वाली चिकन बिरयानी है। सीताफल की सब्जी सीताफल नहीं बल्कि मटन कोरमा है। मिर्च और लहसुन की चटनी को हरा धनिया की चटनी समझ कर खा रहा था।
दोस्तों, यह भी दिन याद रहेगा। जब चाह के भी, आप कुछ खरीद नहीं सकते। दिल में बहुत अरमान होने के बाद भी, आप अपने दोस्त और अहबाब को दावत नहीं दे सकते। मुझे लगता है ऐसी ईद पिछले सौ सालों में नहीं आई थी।
खाना खाने के बाद मैंने अपने घर बिहार फोन लगाया। आज मेरे भतीजा का जन्मदिन है। मुझे याद है साल 1999 का वार्ड कप क्रिकेट का इफ्तिताह जिस दिन हुआ था, उसी दिन उसका जन्म हुआ था। भतीजा अब बड़ा हो गया है, मगर उस का दिल अभी भी छोटे से बच्चों की तरह है। मेरे दीगर भतीजे पटना से उसके लिए केक लेकर गांव आने वाले थे। मगर पुलिस और प्रशासन ने अभी तक उन्हें आने की परमिट नहीं दी है।
इसलिए केक नहीं आ पाया। मगर जन्मदिन केक से नहीं हौसला और प्यार से मनाया जाता है। पकवान और लजीज खाने से ज्यादा मोहब्बत, नेक नियति और खुलूस से त्योहार मनाया जाता है। केक की गैर मजूदगी में बिस्कुट को केक मान कर मेरा भतीजा जन्मदिन मना रहा है।
आज जब मैने अपने भतीजे से बात की और उसे मुबारकबाद दी तो वह खुश हुआ। “आप परेशान मत होइए। जब समय अच्छा हो जायेगा, तो आप का जन्मदिन किसी भी दिन मन जाएगा। फिर केक भी आएगा। मिठाई भी आएगी और बहुत सारे दोस्तों को भी बुलाया जाएगा।”
भजीजा ने मेरी बात मान ली और कहा, “ठीक है, अंकल।”
फिर मैने फोन पर अपनी बुजुर्ग मां से भी बात की। वह ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं हैं और फेसबुक और सोशल मीडिया के बारे में कुछ नहीं जानती। अखबार और टीवी से भी कोसों दूर हैं। यह उनके लिए राहत की बात है। मगर उनको इतना जरूर मालूम है कि दुनिया में बीमारी फैल गई है और लोगों को दूसरों से नहीं मिलना चाहिए। “ऐसा बुरा वक्त तो मैने कभी न सुना था और न देखा था।” उन्होंने मुझे फोन पर दुख जाहिर करते हुए कहा।
माताजी बिलकुल सही कह रही हैं। ऐसा बुरा वक्त पिछले सौ सालों में कभी नहीं आया था। मगर, हमें हर हाल में इससे लड़ना है। इस मुसीबत के वक्त खुशी का जो भी मौका मिले उसे उठाने में हमें पीछे नहीं हटना चाहिए। जिस तरह केक न होने पर बिस्कुट का ही केक बनाकर मेरा भतीजा अपना “हैप्पी बर्थडे” मना रहा है, वैसे ही हमसब को खुशियां मनाने से पीछे नहीं हटना चाहिए।
अपने भतीजे की तरह, बहुत कुछ नहीं होने के बाद भी मैने ईद की खुशियां मनाई। सच में, ईद ने आज करोड़ों लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाया है और दिलों में सुकून और खुशी भरी है।
आइए हम सब यह कामना करें कि हमसब की खुशी, सेहत और समृद्धि जल्द से जल्द लौट आए।
(फोटो: मेरे दोस्त Mohd Aamir Khan के फेसबुक वाल से)

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Download the article here Eid_Cirona_Hashiye_ki_Awaz_ Abhay Kumar, 'Corona ka gham aur Eid ki Khushi', Hashiye ki Awaz, June 2021, pp. 30-33.
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