नजीब प्रकरण का एक साल : कहाँ है वह?
उन्होंने विदेश मंत्री और बीजेपी की बड़ी नेता सुषमा स्वराज का भी ज़िक्र किया। “सुना है कि सुषमा स्वराज विदेशों में लोगों को बचाती हैं। मगर जब देश में ही कोई ग़ायब हो जाये तो वह क्यों नहीं कुछ करती हैं”
उन्होंने विदेश मंत्री और बीजेपी की बड़ी नेता सुषमा स्वराज का भी ज़िक्र किया। “सुना है कि सुषमा स्वराज विदेशों में लोगों को बचाती हैं। मगर जब देश में ही कोई ग़ायब हो जाये तो वह क्यों नहीं कुछ करती हैं”
यह कौन सी “मुस्लिम-महिला हितैषी” राजनीति है, जो तलाक़ पर कोर्ट के रोक, समान नागरिक संहिता और राम-मंदिर का निर्माण जैसे अलग-अलग और विवादित मुद्दे को एक-दूसरे का पूरक समझ रही है?
भाजपा को उमीद है कि इस प्रक्रिया में उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में होने वाले चुनाव के दौरान वह फायदा उठा पायेगी, क्योंकि तीन-तलाक और समान नागरिक संहिता का मसला उनकी सोच में ‘हिन्दू’ वोटरों को लामबंद करने का एक आसान जरिया साबित हो सकता है.
पिछले एक महीने से पुलिस पचास हजार की रकम से दो लाख रुपये तक की रकम की घोषणा कर चुकी है, नजीब का पता बताने के लिए ,लेकिन अंतिम बार नजीब की पिटाई करने वाले छात्रों से एक सवाल पूछना भी मुनासिब नहीं समझती. जेएनयू से गायब नजीब की मां दिल्ली की सड़कों पर बेटे को पथराई आँखों से ढूंढ रही हैं…
अन्य दलितों और पिछड़ों के साथ एकजुट होकर और नए नायकों को अपनाकर पसमांदा, श्रेष्ठि वर्ग की जातिवादी अल्पसंख्यक राजनीति के चंगुल से मुक्त हो गए हैं
एजाज अली पेशे से डॉक्टर हैं मगर सियासत में उनकी पहचान एक दलित और पिछड़े नेता के तौर पर रही है, जो वर्षों से दलित मुस्लिमों को अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में शामिल करने के लिए आंदोलन कर रहे हैं.
अजय गुडवर्ती जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र विभाग में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर के पद पर कार्यरत है.