सावित्रीबाई फुले: नारीमुक्ति की अग्रणी योद्धा

सावित्रीबाई फुले रचना समग्र में सावित्रीबाई (1831-1897) की कविताएं, पत्र और भाषण शामिल हैं, जो जाति-प्रथा, अंधविश्वास, और समाज में महिला की गुलामी के खिलाफ तगड़ा विरोध दर्ज कराते हैं.

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आत्मानुभव की कोख से उपजा लेखन

पुस्तक में लेखिका का एक प्रमुख तर्क यह है कि मुख्यधारा के हिंदी लेखकों की सामान्य धारणा के विपरीत, दलित साहित्य का उदय 1980 के दशक में दलितों की आत्मकथाओं और कथा साहित्य के प्रकाशन से बहुत पहले हो गया था। दलितों ने सन् 1920 के दशक में ही हिन्दी साहित्य में अपनी आवाज बुलंद करनी शुरू कर दी थी

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