शिक्षा ही स्त्री का गहना है : सावित्रीबाई फुले

फुले दम्पत्ति के अलावा 19वीं सदी में शायद कोई ऐसी दूसरी शख्सियतें होगीं, जिन्होंने अपनी पूरी ज़िन्दगी वंचित समाज की शिक्षा और उत्थान के लिए लगाया हो। ज़ात-पात, अछूत प्रथा, ब्राह्मणवाद, अंधविश्वास, महिलाओं की दुर्दशा, किसानों और मजदूरों के शोषण के खिलाफ़ आधुनिक भारत में सावित्रीबाई फुले ने प्रखर तरीके से आवाज उठाया। सावित्रीबाई की इस …

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‘अंदाजिय़ा आंकड़ेबाज़ी से उपजता है खतरनाक जातिवाद’

प्रोफेसर अमिताभ कुंडू कहते हैं कि हमारे देश में पिछली जाति जनगणना लगभग एक सदी पहले हुई थी। अब समय आ गया है कि सरकार अपने कार्यक्रमों और विभिन्न समुदायों के लिए कोटे का निर्धारण ताजे विश्वसनीय आंकड़ों के आधार पर करे

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आंकड़ों पर पहरा

आंकड़े बतायेंगें कि अल्पसंख्यक ऊंची जातियां देश के संसाधनों पर किस हद तक काबिज हैं। क्या इसी कारण सरकार इन आंकड़ों को जारी करने में सकुचा रही है

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